अमोनिया का अणुसूत्र NH3 तथा अणुभार 17 है । यह नाइट्रोजन का एक हाइड्राइड है । नौसादर( NH4Cl) के रूप में अमोनिया बहुत पहले से ही ज्ञात है । नौसादर, अमोनियम क्लोराइड ( NH4Cl) को कहते है । 15 वीं शताब्दी में बेसिलियस वैलेंटाइनस ने बताया कि नौसादर पर क्षार की क्रिया से अमोनिया प्राप्त की जा सकती है । सन १७७४ में प्रीस्टले ने नौसादर को चूने के साथ गर्म करके अमोनिया बनाई थी और उन्होंने इसका नाम रखा ‘क्षारीय वायु’ । सन 1785 में बर्थोले ने सिद्ध किया अमोनिया, नाइट्रोजन व हाइड्रोजन का एक यौगिक है । सन 1800 में डेवी ने इसका अणुसूत्र स्थापित किया । यह गैस बहुत कम मात्रा में मिट्टी ,वायु तथा जल में पाई जाती है । वायु तथा मिट्टी में यह नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक यौगिकों के गलने व सड़ने से बनती है जो एक प्रकार की धीमी गति से होने वाली अपघटन अभिक्रिया है ।
हैबर विधि से अमोनिया बनाना-
सिद्धान्त-
अमोनिया बनाने के लिए शुद्ध नाइट्रोजन(N2) और हाइड्रोजन (H2) को १:३ के अनुपात में लेकर गर्म किया जाता है रासायनिक अभिक्रिया होती है और अमोनिया गैस बनती है यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है और क्रिया के पश्चात आयतन में कमी होती है , इसलिए ला शातेलिए के नियमानुसार कम ताप और अधिक दाब से अधिक अमोनिया उत्पन्न होती है ।
N2(g) + 3H2(g) = 2NH3(g) + 23,400 Calorie
अभिक्रिया का वेग बढ़ाने के लिए एक उत्प्रेरक का प्रयोग किया जाता है । इस अभिक्रिया का उत्प्रेरक की उपस्थिति में अनुकूल ताप 450-500oC तथा अनुकूल दाब 200 atm (वायुमंडल) है । चूंकि अभिक्रिया उत्क्रमणीय है इसलिए अमोनिया को क्रियाक्षेत्र से लगातार हटाने के बाद अमोनिया गैस अधिक बनती है । इस अभिक्रिया में लोहे(Fe) का बारीक चूर्ण उत्प्रेरक तथा मोलिब्डेनम (Mo) उत्प्रेरक वर्धक प्रयुक्त होता है । उत्प्रेरक विषक्त न हो इसके लिए गैसीय मिश्रण शुद्ध होना चाहिए ।
विधि –
नाइट्रोजन गैस (N2) तथा हाइड्रोजन गैस(H2)को शुद्ध अवस्था में १:३ के अनुपात में मिलाकर कम्प्रेसर पंप में भेजते हैं । जो गैस को २०० वायुमंडल दाब पर उत्प्रेरक कक्ष में भेजता है, जिसमें लाल गर्म लोहे (Fe) का चूर्ण उत्प्रेरक के रूप में होता है । उत्प्रेरक के साथ मोलिब्डेनम(Mo) का चूर्ण उत्प्रेरक वर्धक के रूप में होता है ।
उत्प्रेरक कक्ष में ताप लगभग ४५०-५०० ०क होता है । यहाँ पर १० से १५ % अमोनिया गैस बनती है जिसे संघनित्र में ले जाया जाता है , यहाँ पर गैस अमोनिया द्रवित हो जाती है । जो गैसें द्रवित नहीं हो पाती जैसे N2 ,H2 तथा थोड़ी NH3 उन्हें फिर से उत्प्रेरक कक्ष में भेज देते हैं । इस प्रकार N2 तथा H2 गैस की अभिक्रिया से अमोनिया NH3 का उत्पादन लगातार होता रहता है ।
अमोनिया के भौतिक गुण-
१- यह रंगहीन गैस है ।
२- इसकी गंध बहुत तीव्र होती है । इसे सूंघने पर आंख में आंसू आते है ।
३-यह जल में अत्यधिक विलेय है ।
४-यह उच्च दाब पर द्रवित हो जाती है । इसका क्वथनांक -33.3 डिग्री सेल्सियस है ।
५-द्रव अमोनिया एक अच्छा विलायक है ।