हैलोएल्केन(परिभाषा ) :-एल्केन के अणु से एक हाइड्रोजन जब हैलोजन के एक परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है, तो प्राप्त यौगिक को हैलोएल्केन कहते हैं | उदहारण के लिए – CH3CH2CH2Br का नाम ब्रोमो प्रोपेन है ,ये एक मोनो हैलोएल्केन है | यह प्रोपेन से एक हाइड्रोजन Br द्वारा प्रतिस्थापित करने से बना है | ऐसे यौगिक एलीफैटिक हाइड्रोकार्बनों के हैलोजन व्युत्पन्न कहलाते हैं | इनमे यदि एक ही हैलोजन परमाणु होता है तो इन्हे मोनो हैलोएल्केन कहते हैं | जब एक से अधिक हैलोजन परमाणु होते हैं तो इन्हे पॉली हैलो एल्केन कहते हैं (उदहारण के लिए CHCl3 जो की एक ट्राई हैलो एल्केन है )
कुछ हैलो एल्केनों के सूत्र तथा नाम नीचे दिए गए हैं |
CH3Br ब्रोमो मेथेन ( साधारण नाम -मेथिल ब्रोमाइड )
CH3CH2-Br ब्रोमो एथेन ( साधारण नाम -एथिल ब्रोमाइड )
CH3CH2CH2CH2-Cl क्लोरो ब्यूटेन ( साधारण नाम – ब्यूटिल क्लोराइड )
CHCl3 ट्राई क्लोरो मेथेन ( साधारण नाम -क्लोरोफॉर्म )
हैलोएल्केनो के बहुत से यौगिक हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं जैसे CHI3 (आयोडोफोर्म ) का उपयोग एंटीसेप्टिक के रूप में किया जाता है | CHCl3 (क्लोरोफॉर्म ) का उपयोग शल्य चिकित्सा में निश्चेतक के रूप में किया जाता है | CH3CH2Br (एथिल ब्रोमाइड ) का उपयोग स्थानीय निश्चेतक के रूप में होता है |
हैलोएरीन (परिभाषा ) :-बेंजीन जैसे एरोमैटिक यौगिक का एक या अधिक हाइड्रोजन जब एक या अधिक हैलोजन द्वारा प्रतिस्थापित हो जाताहै तो प्राप्त यौगिक को हैलोरीन कहते हैं | उदहारण के लिए बेंजीन C6H6 का एक हाइड्रोजन जब Br से प्रतिस्थापित हो जाता है तो ब्रोमो बेंजीन C6H5Br प्राप्त होता है जो की एक हैलोएरीन है | इन्हे एरिल हैलाइड भी कहते हैं | यदि बेंजीन रिंग से जुड़े किसे समूह जैसे मैथिल -CH3 समूह का हाइड्रोजन प्रतिस्थापित होता है हैलोजन से, तो प्राप्त यौगिक हैलोएरीन ही होता है | इसे बेन्जिलिक हैलाइड भी कहते है (एरिल हैलाइड नहीं कहते )|
कुछ उदाहरण निम्न हैं –
C6H5-Cl क्लोरो बेंजीन
C6H5-Br ब्रोमो बेंजीन
C6H5-I आयोडो बेंजीन
C6H5-CH2-Br बेन्जिल ब्रोमाइड
हैलो एरीन यौगिक भिन्न भिन्न उपयोगों में लिए जाते हैं जैसे क्लोरो बेंजीन का उपयोग DDT (एक कीटनाशी )के निर्माण में किया जाता है |
हैलोएल्केन तथा हैलोरीन को और अधिक पढ़ने तथा समझने के लिए नीचे एक वीडिओ है उसे देखें तथा वीडिओ से आपको समझ में आया की नहीं ये कमेंट करके बताएं |